आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 23 अगस्त 2023
दिन – बुधवार
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅शक संवत् – 1945*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅मास – श्रावण*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – सप्तमी 24 अगस्त प्रातः 03:31 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र – स्वाती सुबह 08:08 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग – ब्रह्म रात्रि 09:45 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*⛅राहु काल – दोपहर 12:42 से 02:18 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:19*
*⛅सूर्यास्त – 07:06*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:49 से 05:34 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:20 से 01:05 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – शरद ऋतु प्रारम्भ, संत तुलसीदासजी जयंती*
*⛅विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹शरद ऋतु में कैसे करें स्वास्थ्य की रक्षा ?🔹*
*🔸(शरद ऋतु : 23 अगस्त से 23 अक्टूबर 2023 तक)*
*🔸शरद ऋतु में ध्यान देने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें :*
*🔹(1) रोगाणां शारदी माता । रोगों की माता है यह शरद ऋतु । वर्षा ऋतु में संचित पित्त इस ऋतु में प्रकुपित होता है । इसलिए शरद पूर्णिमा की चाँदनी में उस पित्त का शमन किया जाता है ।*
*🔹इस मौसम में खीर खानी चाहिए । खीर को भोजनों में ‘रसराज’ कहा गया है । सीता माता जब अशोक वाटिका में नजरकैद थी तो रावण का भेजा हुआ भोजन तो क्या खायेगी, तब इन्द्र देवता खीर भेजते थे और सीताजी वह खाती थी ।*
*🔹(2) इस ऋतु में दूध, घी, चावल, लौकी, पेठा, अंगूर, किशमिश, काली द्राक्ष तथा मौसम के अनुसार फल आदि स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं । गुलकंद खाने से भी पित्तशामक शक्ति पैदा होती है । रात को (सोने से कम-से-कम घंटाभर पहले) मीठा दूध घूँट-घूँट मुँह में बार-बार घुमाते हुए पियें । दिन में 7-8 गिलास पानी शरीर में जाय, यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है ।*
*🔹(3) खट्टे, खारे, तीखे पदार्थ व भारी खुराक का त्याग करना बुद्धिमत्ता है । तली हुईं चीजें, अचारवाली खुराक, रात को देरी से खाना अथवा बासी खुराक खाना और देरी से सोना स्वास्थ्य के लिए खतरा है क्योंकि शरद ऋतु रोगों की माता है । कोई भी छोटा-मोटा रोग होगा तो इस ऋतु में भड़केगा इसलिए उसको बिठा दो ।*
*🔹(4) शरद ऋतु में कड़वा रस बहुत उपयोगी है । कभी करेला चबा लिया, कभी नीम के 10-12 पत्ते चबा लिये । यह कड़वा रस खाने में तो अच्छा नहीं लगता लेकिन भूख लगाता है और भोजन को पचा देता है ।*
*🔹(5) पाचन ठीक करने का एक मंत्र भी है :*
*अगस्त्यं कुम्भकर्णं च शनिं च वडवानलम् ।*
*आहारपरिपाकार्थं स्मरेद् भीमं च पंचमम् ।।*
*यह मंत्र पढ़ के पेट पर हाथ घुमाने से भी पाचनतंत्र ठीक रहता है ।*
*🔹(6) बार-बार मुँह चलाना (खाना) ठीक नहीं, दिन में दो बार भोजन करें । और वह सात्त्विक व सुपाच्य हो । भोजन शांत व प्रसन्न होकर करें । भगवन्नाम से आप्लावित (तर, नम) निगाह डालकर भोजन को प्रसाद बना के खायें ।*
*🔹(7) 50 साल के बाद स्वास्थ्य जरा नपा-तुला रहता है, रोगप्रतिकारक शक्ति दबी रहती है । इस समय नमक, शक्कर और घी-तेल पाचन की स्थिति पर ध्यान देते हुए नपा-तुला खायें, थोड़ा भी ज्यादा खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।*
*🔹(8) कइयों की आँखें जलती होंगी, लाल हो जाती होंगी । कइयों को सिरदर्द होता होगा, तो एक-एक घूँट पानी मुँह में लेकर अंदर गरारा (कुल्ला) करता रहे और चाँदी का बर्तन मिले अथवा जो भी मिल जाय, उसमें पानी भर के आँख डुबा के पटपटाता जाय । मुँह में दुबारा पानी भर के फिर दूसरी आँख डुबा के ऐसा करें । फिर इसे कुछ बार दोहराये । इससे आँखों व सिर की गर्मी निकलेगी । सिरदर्द और आँखों की जलन में आराम होगा व नेत्रज्योति में वृद्धि होगी ।*
*🔹(9) अगर स्वस्थ रहना है और सात्त्विक सुख लेना है तो सूर्योदय के पहले उठना न भूलें । आरोग्य और प्रसन्नता की कुंजी है सुबह-सुबह वायु-सेवन करना । सूरज की किरणें नहीं निकली हों और चन्द्रमा की किरणें शांत हो गयी हों उस समय वातावरण में सात्त्विकता का प्रभाव होता है । वैज्ञानिक भाषा में कहें तो इस समय ओजोन वायु खूब मात्रा में होती है और वातावरण में ऋणायनों का प्रमाण अधिक होता है । वह स्वास्थ्यप्रद होती है । सुबह के समय की जो हवा है वह मरीज को भी थोड़ी सांत्वना देती है ।*
*🌞🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🚩🚩🌞*