आपके मन और संसार में चाहे जो भी उथल-पुथल हो, आपका सच्चा अस्तित्व शाश्वत है। आपकी आत्मा न तो किसी दूरस्थ स्थान पर निवास करती है और न ही दुर्लभ है; न तो वह आपके लिए अजनबी है; यह वास्तव में आपका आत्म-भगवान है। तुम नहीं हो, वह अकेला है। तुम और वह एक ही हैं, प्रियाजनो….
ना तो हम हम है ना तो ओ है, है तो सब हवा का झोका, एक दीन ओ तय करेगा कब तक सम्पर्क मे रखणा है इस लिये हमे हमसे जो होता है ओ अच्छा करणा है.
रामवर्मा आसबे