आज का हिन्दू पंचांग दिनांक – 05 फरवरी 2024
दिन – सोमवार
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – शिशिर*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – दशमी शाम 05:24 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र – अनुराधा सुबह 07:54 तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*⛅योग – ध्रुव सुबह 10:52 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल – सुबह 08:42 से 10:06 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:18*
*⛅सूर्यास्त – 06:29*
*⛅दिशा शूल – पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:35 से 06:27 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 से 01:19 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹षट्तिला एकादशी : 06 फरवरी 24🌹*
*🔸एकादशी 05 फरवरी शाम 05:24 से 06 फरवरी शाम 04:07 तक*
*🔸व्रत उपवास 06 फरवरी मंगलवार को रखा जायेगा ।*
*🔹इस दिन छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी ‘षटतिला’ कहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है ।* :
*१] पानी में तिल डाल के स्नान करना ।*
*२] तिलों का उबटन लगाना ।*
*३] तिल डालकर पितरों का तर्पण करना, अर्घ्य देना ।*
*४] अग्नि में तिल डालकर यज्ञादि करना ।*
*५] तिलों का दान करना ।*
*६] तिल को भोजन के काम में लेना ।*
*🌹तिलों की महिमा तो है लेकिन तिल की महिमा सुनकर तिल अति भी न खायें और रात्रि को तिल और तिलमिश्रित वस्तु खाना वर्जित है ।*
*🔹तेलों में सर्वश्रेष्ठ बहुगुणसम्पन्न तिल का तेल🔹*
*🔹तेलों में तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ है । यह विशेषरूप से वातनाशक होने के साथ ही बलकारक, त्वचा, केश व नेत्रों के लिए हितकारी, वर्ण ( त्वचा का रंग ) को निखारनेवाला, बुद्धि एवं स्मृतिवर्धक, गर्भाशय को शुद्ध करनेवाला और जठराग्निवर्धक है । वात और कफ को शांत करने में तिल का तेल श्रेष्ठ हैं ।*
*🔸अपनी स्निग्धता, तरलता और उष्णता के कारण शरीर में सूक्ष्म स्त्रोतों में प्रवेश कर यह दोषों को जड़ से उखाड़ने तथा शरीर के सभी अवयवों को दृढ़ व मुलायम रखने का कार्य करता है । टूटी हुई हड्डियों व स्नायुओं को जोड़ने में मदद करता है ।*
*🔸तिल के तेल की मालिश करने व उसका पान करने से अति स्थूल (मोटे ) व्यक्तियों का वजन घटने लगता है व कृश ( पतले ) व्यक्तियों का वजन बढ़ने लगता है । तेल खाने की अपेक्षा मालिश करने से ८ गुना अधिक लाभ करता है । मालिश से थकावट दूर होती है, शरीर हलका होता है । मजबूत व स्फूर्ति आती है । त्वचा का रुखापन दूर होता है, त्वचा में झुर्रियाँ तथा अकाल वार्धक्य नहीं आता । रक्तविकार, कमरदर्द, अंगमर्द ( शरीर का टूटना ) व वात-व्याधियाँ दूर रहती हैं ।शिशिर ऋतू में मालिश विशेष लाभदायी है ।*
*🔹औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸१] तिल का सेवन १०-१५ मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है ।*
*🔸२] ५० ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है ।*
*🔸३] २०-२५ लहसुन की कलियाँ २५० ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें । इस तेल की बूँदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है ।*
*🔸४] प्रतिदिन सिर में काले तिलों के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते ।*
*🔸५] ५० मि.ली. तिल के तेल में ५० मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय । इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*
*🔸६] तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है ।*
*🔸७] घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं ।*
*🌞🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🚩🚩🌞*