आज का हिन्दू पंचांग  दिनांक – 12 सितम्बर 2023 दिन – मंगलवार

आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक – 12 सितम्बर 2023

दिन – मंगलवार

*⛅विक्रम संवत् – 2080*

*⛅शक संवत् – 1945*

*⛅अयन – दक्षिणायन*

*⛅ऋतु – शरद*

*⛅मास – भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)*

*⛅पक्ष – कृष्ण*

*⛅तिथि – त्रयोदशी रात्रि 02:21 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*

*⛅नक्षत्र – अश्लेषा रात्रि 11:01 तक तत्पश्चात मघा*

*⛅योग – परिघ रात्रि 01:12 तक तत्पश्चात सिद्ध*

*⛅राहु काल – दोपहर 03:41 से 05:14 तक*

*⛅सूर्योदय – 06:25*

*⛅सूर्यास्त – 06:47*

*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*

*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:52 से 05:39 तक*

*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:13 से 12:59 तक*

*⛅व्रत पर्व विवरण – भौमप्रदोष व्रत, मंगलागौरी पूजन*

*⛅विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

 

*🌹भौम प्रदोष व्रत (12 सितम्बर 2023) : कर्ज-निवारक कुंजी 🌹*

 

*🌹प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं । मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज-निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है । भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं । पूजा करते समय यह मंत्र बोले :*

 

*मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ।*

 

*जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै: ।।*

 

*इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोड़ा पुरुषार्थ करें*।

 

 

*🔹कलश मांगलिकता का प्रतीक क्यों ?🔹*

 

*🔸सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व कलश-स्थापना की परम्परा है । विवाह आदि शुभ प्रसंगों, उत्सवों तथा पूजा-पाठ, गृह-प्रवेश, यात्रारम्भ आदि अवसरों पर घर में भरे हुए कलश पर आम के पत्ते रखकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है और कलश की पूजा की जाती है ।*

 

*🔸 जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त कलश का उपयोग किसी-न-किसी रूप में होता रहता है । दाह-संस्कार के समय व्यक्ति के जीवन की समाप्ति के सूचकरूप में उसके शव की परिक्रमा करके जल से भरा मटका छेदकर खाली किया जाता है और उसे फोड़ दिया जाता है ।*

 

*🔸कलश में सभी देवताओं का वास माना गया है । हमारे शास्त्र में आता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिपुटी एवं अन्य सभी देवी-देवता, पृथ्वी माता और उसके सप्तद्वीप, चारों वेदों का ज्ञान एवं इस संसार में जो-जो है वह सब इस कलश-जल में समाया हुआ है ।*

 

*🔸समुद्र- मंथन के समय अमृत-कलश प्राप्त हुआ था । माना जाता है कि माँ सीताजी का आविर्भाव भी कलश से हुआ था । लंकाविजय के बाद भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे तब उनके राज्याभिषेक के समय भी अयोध्यावासियों ने अपने घरों के दरवाजे पर कलश रखे थे ।*

 

*🔸भरा हुआ कलश मांगलिकता का प्रतिक है । मनुष्य – शरीर भी मिटटी के कलश अथवा घड़े के जैसा ही है । जिस शरीर में जीवनरूपी जल न हो वह मृर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ माना जाता है । शरीर में मात्र श्वास चलते है, वह वास्तविक जीवन नहीं है । परंतु जीवन में प्रभु-प्रेम का सत्संग, श्रद्धा, भगवत्प्रेम, उत्साह, त्याग, उद्धम, उच्च चरित्र, साहस आदि गुण हों तभी कलश भी अगर दूध, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ हो तभी वह कल्याणकारी कहलाता है ।*

 

*🔸कलश का तात्त्विक रहस्य बताते हुए पूज्य बापूजी कहते हैं : “अपना शरीर, अपना जीवन एक कलश या कुम्भ के जैसा है । कलश के अंदर क्या है ? कलश के अंदर पानी है । और यह गागर का चार घूँट या २-५ लीटर पानी सागर की खबर दे रहा है ऐसे ही अंत:करण में समाया चैतन्य, विभु चैतन्य की खबर दे रहा है । हे मानव ! तेरा यह शरीररूपी कलश है । कलश में ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात सात्त्तिव्क, राजस और तामस गुणों के अधिष्ठाता देवों का निवास है । इसलिए मंदिर के दर्शन के बाद कलश के दर्शन करने होते हैं, ऐसी ही गृह के दर्शन के साथ-साथ अपने शरीररूपी कलश के दर्शन कर और उसके आधार चैतन्य की स्मृति कर !*

 

*🔸कलश का पानी सागर में मिल जाय ऐसे यह जीवात्मा का शरीररूपी कलश यही छूट जाय इससे पहले वह परमात्मा को मिलने की विधि जान ले तो उसका बेड़ा पार हो जाय ।”*

 

 

*🔹अपने स्वास्थ्य की रक्षा करो🔹*

 

*🔸चॉकलेट से बहुत हानि होती है । इसमें कई केमिकल पड़ते हैं । इससे चॉकलेट खानेवाले बच्चों में मानसिक व्यग्रता, उत्तेजना, अवसाद और क्रोध बढ़ जाता है, पेटदर्द, जोड़ों का दर्द और दाँतों के रोग भी बढ़ जाते हैं । सिरदर्द की बीमारी पकड़ लेती है ।*

 

*🔸बेटे-बेटियों ! चॉकलेट, चाय-कॉफ़ी व फास्ट फूड से सदा दूर रहो । बेकरी की चीजें भी स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं हैं । बर्गर और पीजा तो बच्चों, बड़ों सबके लिए बहुत हानिकारक हैं ।*

 

🌞🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🚩🚩🌞