आज का हिन्दू पंचांग दिनांक – 31 अगस्त 2023 दिन – गुरुवार
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅शक संवत् – 1945*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅मास – श्रावण*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – पूर्णिमा सुबह 07:06 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र – शतभिषा शाम 05:45 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*
*⛅योग – सुकर्मा शाम 05:16 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल – दोपहर 02:15 से 03:49 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:21*
*⛅सूर्यास्त – 06:58*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:18 से 01:03 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – श्रावणी पूर्णिमा, संस्कृत दिवस, गायत्री जयंती*
*⛅विशेष – पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38/34)*

*🔸श्रावणी पूर्णिमा – 31 अगस्त 2023🔸*

*🔸रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त🔸*
*31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 तक – ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया*
*31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक – शुभ अमृत चौघड़िया*

*🔹अन्नपूर्णा प्रयोग🔹*

*🔹प्रति पूर्णिमा को घर के अन्न-भंडार के स्थान पर कपास तेल का दीपक जलायें । इसके प्रभाव से घर की रसोई में बहुत बरकत होती है । यह अन्नपूर्णा प्रयोग है ।*

*🔸संतरा – फलों द्वारा स्वास्थ्य-रक्षा🔸*

*🔹यह सुपाच्य, क्षुधा व उत्साहवर्धक तथा तृप्तिदायी है ।*

*🔸निम्नलिखित सभी प्रयोगों में संतरे के रस की मात्रा : ५० से १०० मि.ली. दिन में २ बार लें ।*

*👉 (१) संतरे व नींबू का रस (१० मि.ली.) हृदय की दुर्बलता व दोष मिटानेवाला है ।*

*👉 (२) संतरे के रस में उतना ही नारियल पानी पेशाब की रुकावट दूर कर उसे स्वच्छ व खुल के लानेवाला है ।*

*👉 (३) शहदसंयुक्त संतरे का रस हृदयरोगजन्य सीने के दर्द, जकड़न व धड़कन बढ़ाने में लाभदायी है ।*

*👉 (४) संतरे के रस के साथ स्वादानुसार पुदीना, अदरक व नींबू का रस पेट के विकारों (उलटी, अरुचि, उदरवायु, दर्द व कब्ज आदि) में विशेष लाभकारी है ।*

*👉 (५) संतरे का रस व १० ग्राम सत्तू अत्यधिक मासिक स्राव व उसके कारण उत्पन्न दुर्बलता में लाभदायी है । सगर्भावस्था में इसका नियमित सेवन करने से प्रसव सुलभ हो जाता है ।*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*

*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*

*🌞🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🚩🚩🌞*

By नमोन्यूजनेशन

देश सेवा हिच ईश्वर सेवा

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