सांस  और  कुंडलनी.

-इस समय संसार मे विज्ञान  की क्रांति चरम पर  है । वैज्ञानिक उन्नति का कारण   विद्युत है । विद्युत का आधार   दो तार  है । एक नेगेटिव एक पॉज़िटिव । अगर यह दोनो  तार न  मिले तो कोई भी साधन काम नहीं करेगा ।

-सभी पेड़ पौधों के दो आधार  है,  जड़ और फल । जड़ न हो तो हमें फल नहीं मिलेंगे और अगर फल न  हो  तो जड़(बीज ) नहीं मिलेगा ।

-पृथ्वी के दो शक्ति केन्द्र है  एक है उतरी ध्रुव  और दूसरा  है दक्षिणी ध्रुव ।

-पृथ्वी उतरी ध्रुव के द्वारा सूर्य से शक्ति ग्रहण करती है । सूर्य की यह शक्ति पृथ्वी को सब नियामतों से भरपूर करती हुई दक्षिणी ध्रुव से बाहर निकलती है ।

-धरती की उपजाऊँ शक्ति और चुम्बकीय शक्ति को सूर्य की किरणो से  ताकत मिलती  है जो वह उतरी ध्रुव से प्राप्त करती है ।

-दक्षिणी ध्रुव से सूर्य की उर्जा धरती को भरपूर करने के बाद   बाहर निकलती है । जब यहाँ से उर्जा बाहर निकलती है तो वह प्यार से भरपूर होती है । कहते है दक्षिणी  ध्रुव पर 50-60 किलोमीटर ऐसा इलाका है वहां कोई भी आ  जाये सभी प्यार करने लगते है । सांप और चूहा, बिल्ली और कुत्ते, शेर और बकरी भी  एक दूसरे से प्यार करने लगते है ।

-धरती से हमें जो कुछ  मिल रहा है  वह सब उतरी और  दक्षिणी ध्रुवो के  कारण है  ।

-ऐसे ही मनुष्य  शरीर मे दो मुख्य ध्रुव व केन्द्र है जो दिव्य शक्तियों  से भरपूर है ।

-एक केन्द्र रीढ़ की हड्डी के ऊपर से नीचे की ओर आखिरी मनके मे है । जिसे मूल आधार  कहते है ।

-दूसरा   शक्ति केन्द्र मनुष्य के सिर में  पतालू में  है । यह वह स्थान  है जो बच्चे के जन्म के समय सिर मे नाजुक जगह होती है । इसे सहस्त्रार  कहते हैं  ।

-इन दोनो केन्द्रों का संचालन आत्मा से होता है जो कि  भृकुटी मे बिंदू रुप मे रहती है ।

-मूल आधार  का केन्द्र    संसार से जुड़ा  हुआ है तथा  दूसरा सहस्त्रार  केन्द्र भगवान  से जुड़ा  हुआ है ।

-इसके इलावा और भी  पाँच शक्ति केन्द्र है ।

-यॆ सारे शक्ति केन्द्र रीढ़ की  हड्डी मे भिन्न  भिन्न  मनकों मे निवास करते है ।

-ईमानदार लोग अड़ियल होते हैं ।

-अच्छे और विल्लिंग वर्कर प्रायः अड़ियल होते हैं ।

-अच्छे विज्ञानिक,  श्रेष्ट ऑफीसर  और उच्च कोटि के योगी भी कई  बार रूखे होते हैं ।  उनका व्यवहार अच्छा नहीं होता ।

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By नमोन्यूजनेशन

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