निशब्द हूं स्तब्ध हूँ, दुखित हूँ
द्रवित हूँ, व्यथित हूँ
लेकिन मोदी जी के हर निर्णय के साथ खड़ा हूँ
_कृषि कानून की वापसी की मोदी जी द्वारा घोषणा किए जाने के बाद मुझे दो1 घटना याद आती हैं ।_

_*पहली घटना है*_
_भगवान कृष्ण ने कंस का वध कर दिया तो जरासंध,कालयवन को लेकर के मथुरा पर हमला करने के लिए आया क्योंकि कलायवन को वरदान प्राप्त था इस कारण भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र से भी उसे मारा नहीं जा सकता था भगवान कृष्ण ने सोचा कि यह मेरे कारण से मथुरा पर हमला करेगा तो बहुत सारे यदुकुल के लोग मारे जाएंगे इसलिए भगवान कृष्ण मथुरा से पलायन कर गये उन्हें रणछोड़ दास का नाम दिया गया ।_
_भगवान कृष्ण के पीछे पीछे जरासन्ध और कालायवन भागा भगवान कृष्ण एक गुफा में पहुंचते हैं वहाँ मुचकुंद विश्राम कर रहे थे उनको विश्राम में अगर कोई व्यक्ति दखल देता तो वह उसको खत्म करने की ताकत रखते थे भगवान कृष्ण ने अपनी पीतांबरा मुचकुंद के शरीर पर डाल दिया और स्वयं वहां से चले गए। कलायवन ने मुचकुंद के शरीर से पीतांबर हटा दिया और जैसे ही मुचकुंद जागे उन्होंने कलायवन को भस्म कर दिया।_

_इस पूरी घटना से एक बात समझ में आती है ।_
_बड़ी क्षति को रोकने के लिए छोटी-छोटी क्षति को कर लेना चाहिए किसान आंदोलन महज एक आंदोलन नहीं था उसके पीछे जिहादी, मंडी के दलालों,खालिस्तान की मांग करने वाले लोग और जाति की राजनीति करने वाले लोग विदेशी फंडिंग के सहारे किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता फैलाना चाहते थे और किसानों के नाम पर भारत के आम जन के साथ जुड़ी संवेदनशीलता को कैश करना चाहते थे और सरकार को किसानों के प्रति संवेदनहीन साबित करना चाहते थे ।_
_वह चाहते थे कि किसी भी कीमत पर सरकार इस_
_आंदोलन को कुचलने के लिए कोई कार्यवाही करें जिससे कुछ लोगों की मृत्यु हो और फिर उन लाशों को दिखा दिखाकर के पूरे देश के अंदर सरकार के खिलाफ माहौल बनाया जाए लेकिन सरकार ने लंबे समय तक धैर्य बनाए रखा और उकसाने वाली किसी भी कार्यवाही पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन फिर भी आम किसान के अंदर इस आंदोलन के कारण कहीं ना कहीं मोदी सरकार के विरुद्ध एक आक्रोश पनपता रहा_
_चूंकि किसान कानून लागू हो नहीं पाए इसलिए उनके फायदों से किसान परिचित नहीं हो सके सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किसान कानून के क्रियान्वयन पर स्टे लगा दिया गया कानून जनता तक पहुंच नहीं पा रहे थे जनता को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा और सरकार के खिलाफ अराजक तत्व अपने उद्देश्य में सफल हो रहे थे यह आंदोलन सिर्फ किसान आंदोलन तक ही सीमित होता तब भी कोई बात नही है यह आंदोलन खालिस्तान की मांग करने वालो के लिये वरदान बन रहा था इसलिए मोदी सरकार ने अपने एक अच्छे निर्णय से भी पीछे हटने में कोई संकोच नहीं किया।_

_किसान कानून पूरी तरह से संवैधानिक थे_
_किसान कानून किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए_
_बनाए गए थे और अगर उनका क्रियान्वयन हो जाता तो वह किसानों की दशा और दिशा को बदलने में सक्षम थे लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी इन कानून के क्रियान्वन पर स्थगन दिया गया और उनके फायदे आम किसान तक नहीं पहुंचने दिये इसी कारण से एक वर्ष में भी आम छोटा किसान इन कानूनों के फायदे से परिचित नहीं हो सका_

_लेकिन दुर्भाग्य है की 130 करोड़ जनता के प्रतिनिधि के_
_तौर पर चुने गए सांसद जब संसद के अंदर बैठ कर के कोई कानून बनाते हैं_ _और वह कानून बहुमत से पास होता है_ _तो उस कानून को कुछ लोग जो लोकतंत्र में जनता के द्वारा नकार दिए गए वह देश के अंदर अराजकता फैला कर के_
_रद्द करने की मांग करते हैं सरकार बड़े और व्यापक हितों को दृष्टिगत रखते हुए देश को बटने से बचाने को द्रष्टि से रखते अपने कदम पीछे खींच लेती है_

_दूसरी घटना फ्रांस की है_
_फ्रांस की क्रांति के बाद वहां की जेलों में बंद कैदियों को क्रांतिकारियों द्वारा छोड़ दिया गया सुबह सारे कैदी वापस चले गए लेकिन शाम होते-होते वह जेलों में वापस लौट आए वह अपनी अपनी बैरकों मैं आकर के अपने-अपने बिस्तर पर आ कर लेट गये और जो बेड़ियां उनके हाथों में और पैरों में पडी थी उन्हें उन्होंने पुनः पहन लिया जब यह दृश्य वहां के पहरेदार ने देखा तो उससे रहा नहीं गया और उसने पूछा की आप लोगों को छोड़ दिया गया था आप वापस क्यों आ गए और उन बेड़ियों को आपने क्यों पहन लिया तो उन्होंने कहा कि हमने लंबे समय से अपना समय काल कोठरी में बताया है जहां सूर्य का प्रकाश नहीं देखा है आज हम जब बाहर गए तो सूर्य के तेज प्रकाश को देख कर के हम डर गए और अंधेरे में रहने की आदत के कारण से उस तेज प्रकाश में हम रह नहीं सके और वापस जेल में आ गये और बेड़ियां हमने इसलिए पहन ली क्योंकि उनको पहने बिना हमको नींद नहीं आ रही थी क्योंकि बेड़ियां हमारे जीवन चर्या में शामिल हो गई थी_

_भारत के किसान ने भी शोषण होते हुए अपने_
_कई पीढ़ियों से देखा है और इस कारण से किसी भी प्रकार का क्रांतिकारी बदलाव उसके जीवन में कोई रोशनी पैदा नहीं करता बल्कि वह उस रोशनी से विचलित हो जाता है क्योंकि उसने मंडी के व्यापारियों के आगे का कोई जीवन नहीं देखा है उन्हीं के शोषण को वे खुशी-खुशी स्वीकार कर लेता है और शोषण से मुक्त कराने वालों को खड़े होकर के गाली देने लगता है आजादी इतना सरल काम नहीं है जिस को आजादी दिलाई जाती है वह भी उसे सहन करने की क्षमता नहीं रखता है_
_खैर मोदी सरकार ने देश हित में अपने कदम को पीछे खींचा है उसने अराजकता और विदेशी फंडिंग के माध्यम से खालिस्तान के लिए की जाने वाली साजिश को समाप्त कर दिया सरकार ने उन्हें नए सिरे से राज्य सरकारों,कृषि वैज्ञानिक, कृषि अर्थशास्त्री और केंद्र सरकार के लोगों का एक समूह बनाकर के इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा के लिए एक मंच तैयार किया है_
_मोदी सरकार ने पहली बार किसी काम से अपने कदम_
_पीछे नहीं खींचे हैं बल्कि 2014 में भी मोदी सरकार ने आने के बाद भूमि अधिग्रहण के संबंध में तीन बार अध्यादेश लाया गया था लेकिन उस अध्यादेश को संसद से पास नहीं कराया जा सका था और फिर सरकार ने उस अध्यादेश से अपने कदम पीछे खींच लिए_

_भगवान कृष्ण की नीति और नियत पर_
_वह पांडव सदैव शक करते रहे जिनके लिए स्वयं_
_भगवान युद्ध के मैदान में खड़े होकर के रथ को हांक रहे थे और गीता का उपदेश दे रहे थे लेकिन मोदी जी आप विश्वास रखिए भारत के करोड़ों लोगों की जन आकांक्षाओं के आप केंद्र हैं उनके विश्वास के प्रतीक हैं आपकी दृढता,राष्ट्र के प्रति आप का समर्पण हम सबके लिए श्रद्धा का केंद्र है मोदी जी हम सब आपके प्रति पूरी श्रद्धा के साथ खड़े है आपने जो भी किया है हमसे बेहतर सोच समझकर के व्यापक दृष्टि के साथ बड़ी सोच के साथ और बड़े हितों को ध्यान में रखकर किया है_
_*नमो नमो*_
_#TrustNaMo #ModiMatters_
🚩🇮🇳⚔️🏹

By नमोन्यूजनेशन

देश सेवा हिच ईश्वर सेवा

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